"" Mere Man Kee: Sarva Shiksha Abhiyan / सर्व शिक्षा अभियान (Education for All Movement - SSA)

रविवार, 5 अप्रैल 2020

Sarva Shiksha Abhiyan / सर्व शिक्षा अभियान (Education for All Movement - SSA)

Sarva Shiksha Abhiyan / सर्व शिक्षा अभियान (Education for All Movement - SSA)


Sarva Shiksha Abhiyan / सर्व शिक्षा अभियान (Education for All Movement - SSA)


शर्मीली...... एक ग्यारह वर्षीय लड़की जो अपने नाम की ही तरह काफी  शर्मिली है | शर्मीली फैज़ाबाद जिले के सोनापुर गाँव की रहने वाले रमेश नामक कुम्हार की इकलौती लड़की थी | रमेश मिट्टी के बर्तन बनता और बाजार जाकर उन्हें बेच आता, और रमेश की पत्नी सुलेखा आस-पड़ोस के घरों का चूल्हा चौका कर किसी तरह घर को चलाते थे | सुबह होते ही नित्यकर्म के बाद रमेश दूर नदी से बर्तन बनाने लायक मिट्टी ले आते और दोपहर में उसे अच्छे से पानी में भिगो देते थे,और शाम में बर्तन बनाते और उन्हें बाजार जाकर बेच आते, यही उनकी रोज की दिनचर्या थी | शर्मीली सुबह उठकर घर के काम में  माँ का हाथ बटाती और दस बजते ही गाँव में स्थित एक प्राइवेट स्कूल, क्योकी गाँव के प्राथमिक विद्यालय में तो भेड़, बकरीयों और चरवाहों के अलावा कोई होता न था | पहले प्राथमिक विद्यालय ऐसा ना था, एक मास्टर जी थे जो बच्चो को पढ़ाने आते थे, बच्चो के नाम पर  कुछ दस बच्चे आते थी पढ़ने के लिए, फिर भी मास्टर साहब पुरी-लगन और मेहनत के साथ पढ़ाते थे| फिर दो वर्ष पहले उनका तबादला दूसरी जगह हो गया और फिर तब से आज तक फिर कोई इस विद्यालय में नहीं आया | इन दो वर्षो में भले कोई ना आया हो, लेकिन शर्मीली घर के काम ख़त्म कर विद्यालय पहुच जाती, सिर्फ इस आस में की शायद कोई मास्टर शहब आये हो, उसे बढ़ने हेतु, लेकिन वहां पहुचकर उसे हर बार की तरह निराशा ही हाँथ लगती | शर्मीली वही प्राथमिक विद्यालय की टूटी हुयी खिड़की के पास खड़ी होकर ब्लैकबोर्ड पर लिखे हिन्दी वर्णमाला के लिखे अक्षरों को पहचानने की कोशिश करती, और समझ ना आने पर बस एकटक ब्लैकबोर्ड को देखती रहती, उस पर लिखा था ........क,ख,ग,घ,ड़ |

एक दिन शर्मीली खेल रही थी की उसे उसके सहपाठियों ने बताया की गाँव में एक नया स्कूल खुला है लेकिन फीस ज्यादा है, यह सुनकर शर्मीली के चेहरे पर आयी मुस्कान जाती रही | वह उदास मन से घर चली गयी, क्योकी अब उसका मन खेलने में भी नहीं लग रहा था | घर पहुची तो माँ खाना पका रही थी और बापू  रोज की तरह नदी से मिट्टी लाने गए थे | उसने सारी बात अपनी माँ को बता स्कूल में दाखिला दिलाने की जिद करने लगी |

पहले तो माँ गुस्से में बोली - " यहाँ पूरा बखत काम करने पर खाने को मिलता है, और तुमको पढ़ने की लगी है |
पढ़ के का करेगी, अरे चुढे-चौके पर ध्यान दे, शादी के बाद यही काम में आयेगा, पढ़ाई नाही, समझी |"

लेकिन शर्मीली के बार-बार जिद करने और रोने पर माँ ने उसे बहलाने के लिए कह दिया - "बापू को आने दे, बात करूंगी |"

अब तो शर्मीली बाहर पेड़ के निचे बैठ बापू का इंतज़ार करने लगी, एक-एक पल घंटो के समान लग रहा था |
सिर्फ दस मिनटों में शर्मीली कई बार अपनी माँ से यह सवाल कर चुकी थी की बापू कब आयेंगे, और माँ हमेशा की ही तरह एक ही जवाब देती  - "आते ही होंगे |"

तभी थोड़ी देर बाद शर्मीली के पिताजी आते दिखाई दिए, उन्होंने आकर मिट्टी भिगोई और हाथ मुह धोने लगे | हाथ धुल लेने के बाद शर्मीली की माँ के द्वारा दिए गए गुड़ के टुकड़े से पानी पिया, और रसोई में ही बैठकर सुस्ताने लगे | फिर शर्मीली की माँ सुलेखा जी ने सारी बात रमेश को बतायी, लेकिन रमेश ने यह कहकर मना कर दिया की  पाई-पाई जमा करके हम किसी तरह से इसकी शादी करना चाहते है, अगर बचाया हुआ पैसा पढ़ाई में लगा दिया तो इसकी शादी कैसे करूंगा, और फिर सभी चुप हो गए | शर्मीली जो अब तक फिर से स्कुल जाने के सपने देख रही थी, अचानक से बहूत उदास हो गयी | लेकिन अगले दिन वह अपने स्कुल जाने की लालसा को न रोक पायी | वहा जाकर देखा तो गाँव के बगीचे में ही क्लास लगी हुयी थी, वह एक पेड़ के पीछे छिपकर देखने लगी | अब तो यह शर्मीली की दिनचर्या का हिस्सा बन गयी थी, सुबह जल्दी-जल्दी काम ख़त्म कर कहलाने के बहाने घर से निकल जाती और उसी पेड़ के पीछे से पढ़ती |

एक दिन मास्टर साहब ने अपनी कक्षा ख़त्म की और घर की और निकले अभी वह थोड़ी दूर ही पहुचे थे की अचानक उन्हें कुछ आवाजे सुनायी दी, आगे जने पर आवाजे साफ होने लगी थी .....प,फ,ब,भ,म | मास्टर साहब इतनी तल्लीनता से पढ़ते बच्चे को देखने से खुद को ना रोक पाए, और आती हुई आवाजकी ओर चल दिए| पास जाकर देखा तो एक लड़की जो जमीन पर इस तरह से बैठी हुई थी की उसके सारे कपडे गंदे हो चुके थे, गर्मी के कारण हो रहे पसीने से धुल चिपक रही थी, फिर भी जैसे उसे कुछ होश ही ना हो| वह तो पहले उंगली से जमीं पर लिखती, उसे पढ़ती और फिर हाथो से मिटा देती, और फिर यह क्रम चलता जाता | मास्टर साहब खुद पता नहीं कहा खो गए थे | तभी एक दबी सी आवाज आयी - "जी कहिये |"

मास्टर साहब ने पीछे मुड़कर देखा तो रमेश जी खड़े थे | उन्होंने फिर पुछा - " मै आपकी क्या मदद कर सकता हूँ ?"

मास्टर साहब ने अपना संक्षिप्त परिचत देते हुए पुछा - "आपकी लड़की तो बहूत होनहार है, कहा पढ़ने जाती है?"
तो रमेश ने भारी मन से उत्तर दिया - "साहब पढ़ने कहाँ जाती है, हमारी उतनी आमदनी कहाँ? हम तोरोज कुआँ खोदते है तब पानी नसीब होता है|"

रमेश ने आगे कहना शुरू किया - "पहले प्राथमिक पाठशाला में जाती थी, अब तो वह भी बंद वहो गया, सूना है गावं में कोई नया स्कूल खुला है, लेकिन वह तो फीस लेंगे!"

फिर मास्टर साहब शर्मीली की और मुड़े और बोले - "उस नये स्कूल में पढ़ना चाहती हो |"
शर्मीली ने हाँ में सर हिलाया |
मास्टर जी मुस्कुराकर बोले - "कल सुबह दस बजे आ जाना, पहले दिन देर से मत पहुचना|"
और शर्मीली ने शर्माते हुए अपनी स्वीकृती दी, उसके चहरे पर जो आशा से भरी चमक थी उससे सारा जहां रौशन हो सकता था |



आप मेरी कविताओं को अगर पढ़ना चाहे तो नीचे लिंक पर जाकर मेरे ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं|
हिन्दी कविता मंच - https://hindikavitamanch.blogspot.com/

मेरी कहानियों को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें|
मेरे मन की - https://meremankee.blogspot.com/

मेरे यात्रा से संबंधित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें|
घुमक्कड़ी दिल से - https://theshuklajee.blogspot.com/

फेसबुक - @theshuklaji और @theshuklajee
इंस्टाग्राम - @theshuklajii और @theshuklajee
ट्विटर - @theshuklajee
संपर्क करें - rushabhshukla8@gmail.com


आपका ब्लॉग पर आने के लिए आभार, हमारे मार्गदर्शन हेतु पुनः पधारें | क्योकी आपके आगमन से ही हमारे लेखन में उत्साह की वृद्धी होती है | धन्यवाद | 

कोई टिप्पणी नहीं:

मेरे मन की

लेबल

अद्भुत संयोग इत्ती सी खुशी एक अनोखी प्रेम कहानी एक कहानी एक लड़का एक लड़की कसूरवार कौन ? कहानी किताब कोरोना वायरस खूबसूरत घुमक्कड़ी - मेरी नजर से चुनाव आ गया टीवी तबेले मे हिन्दू मुस्लिम पुस्तक बख्शीस बेचारे नेता जी महाशिवरात्री मासूमीयत मुर्ख राधेश्याम मूर्ख राधेश्याम मेरा गाँव मेरा घर मेरा परिवार मेरी जिंदगी मेरे दादाजी मेरे बारे में मेरे मन की राष्ट्रपती चुनाव विश्व चिट्ठा दिवस संघर्ष और विजय सर्व शिक्षा अभियान सहिष्णुता और असहिष्णुता स्वच्छ भारत अभियान स्वच्छ भारत मिशन A Boy A Girl A story About Me About My Life Adbhut Sanyog Amazing Coincidence An Extraordinary Love Story Bakhashis beautiful beauty bechare neta jee blog blogger blogging book China chunav aa gaya clean india campaign Corona Virus COVID-19 cute Death digital disease Education for All Movement Ek Anokhi Prem Kahani Ek Kahani Ek Ladka Ek Ladki election 2024 Election Has Arrived Foolish Radheshyam gift GIRL happiness happy Hindi Hindi Kavita Manch Hindu Muslim in Stable india Indian Leaders Innocence intolerance Italy Itti si khushi Jab Miya Bibi Raji To Kya Karega Kazi kahani Kasoorwar Kaun? Kavita khubsurat Leader lekh Maha Shivaratri Mahamari Masoomiyat Mera Gaon Mera Ghar Mera Parivaar Mere Dadaji mere man kee Meri Jandagi Meri Jindagi Mobile modi murkh radheshyam My Faimily My Grandfather My House My Life my new travel blog My Village nomadic online gatha phone photography poem poetry Political Party Politician Politics Poor Leaders President Election president of India Rashtrapati Chunav Reward Rishabh Shukla Sab Padhe Sab Badhe Sahishduta Aur Asahishduta Sangharksh Aur Vijay sarv shiksha abhiyan school chale ham Short Story SSA Story story of my life Struggle And Victory swachch bharat Tabele Me Hindu Muslim theshuklajee Tolerance Tolerance And Intolerance travel blog travelling TV Vishwa Chittha Diwas WHO Who is guilty? World Blogger's Day